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|रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
}}
पहली बार{{KKCatKavita}}<brpoem>पहली बारमैंने देखा<br>भौंरे को कमल में<br>बदलते हुए,<br>फिर कमल को बदलते<br>नीले जल में,<br>फिर नीले जल को<br>असंख्य श्वेत पक्षियों में,<br>फिर श्वेत पक्षियों को बदलते<br>सुर्ख़ आकाश में,<br>फिर आकाश को बदलते<br>तुम्हारी हथेलियों में,<br>और मेरी आँखें बन्द करते<br>इस तरह आँसुओं को<br>स्वप्न बनते -<br>पहली बार मैंने देखा ।<br><br>