|रचनाकार=साहिर लुधियानवी
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मेरे नदीम मेरे हमसफ़र उदास न हो
हवाएँ कितना भी टकराएँ आँधियाँ बनकर
मगर घटाओं के परछम कभी नहीं झुकते
मेरे नदीम मेरे हमसफ्रर ...हमसफ़र...
हर एक तलाश के रास्ते में मुश्किलें हैं मगर
हजारों चाँद सितारों का खून होता है
तब एक सुबह फ़िजाओं पे मुस्कुराती है
मेरे नदीम मेरे हमसफ्रर ...हमसफ़र...
जो अपने खून को पानी बना नहीं सकते
जो रास्ते के अँधेरों से हार जाते हैं
वो मंजिलों के उजाले को पा नहीं सकते
मेरे नदीम मेरे हमसफ्रर ...हमसफ़र...
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