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प्रेमरंजन अनिमेष

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{{KKGlobal}}मान==प्रेमरंजन अनिमेष की रचनाएँ==मुसकुराता हुआ वह[[Category:प्रेम्रंजन अनिमेष]]बढ़ता मेरी ओरबातें करने लगता आत्मीयता से
{{KKParichayउसकी मुसकान|चित्र=और ऑंखों की चमक से झलकता|नाम= प्रेमरंजन अनिमेष|उपनाम=|जन्म= |जन्मस्थान=गाँव, भारत|कृतियाँ= |विविध= |जीवनी=[[प्रेमरंजन अनिमेष / परिचय]]}}वह मुझे अच्छी तरह जानता
* [[मान / प्रेमरंजन अनिमेष]]पहले कहीं मिला होगाहुआ होगा परिचयपर इस समय ध्यान नहीं आ रहा और कहिये कैसे हैंक्या हालचाल है पूछता हूँसब कुशल मंगल तो हैघर में ठीक हैं सब लोगआजकल कहाँ हैं ... इसी तरह के सहज सुरक्षित सवालकि वह जान न पाएअभी मैं उसे नहीं जानता    बातें करतासोचता जाता ज़ाहिर किये बगैरआखिर कब कहाँ हुई थी भेंटकैसे किधर से वह जुड़ता है मुझसे सुनता कहताबड़े सँभाल सेकि पकड़ा न जाऊँऔर प्रतीक्षा करताबातों ही बातों मेंकोई सिरा मिलेजिससे पहचान खुले माफ करिये भूल रहा आपका नाम ...सीधे सीधे उसकी मदद ले सकता  पर डर है उसके आहत होने काइतनी भली तरह वह मुझे जानता हैऔर मैं उसका नाम तक नहीं ... अभी इतना भीबड़ा नहीं हुआकि न हो इतना ख़यालकोई मिले और आगे बढ़ जाऊँ कतरा करदेख कर मुसकुरा कर हाथ हिला करनिकल जाऊँ उसकी बातों के बीच सेरास्ता बना कर कोई है जिसे याद हूँलेकिन मैं भूल गया हूँ कुछ हैंजिन्हें मैं नहीं जानतापर वे मुझेजानते हैंऐसे कितने हैं ...? एक पल के लिएजाने कहाँ सेतुष्टि सी जागती जबकि संताप होना चाहिए थाअफसोस अपनी लाचारी पर अब तक पहचान नहीं सकाहालाँकि वह इतनी देर रहाइतना मौका दिया चलूँ ...नहीं तो छूट जायेगी गाड़ीअब वह जा रहाअब भी नहीं मिला उसका नाम शायद वह उतना सफल नहीं जीवन में सफलता का अभी पैमाना यहीकितने तुम्हें जानने वालेजिन्हें तुम नहीं पहचानते यह एक ऐसा दौरजिसमें स्मृति और पहचानन होने का अभिमान ...! * [[***************** छोड़ना / प्रेमरंजन अनिमेष]]* [[ / प्रेमरंजन अनिमेष]]* [[ / प्रेमरंजन अनिमेष]]अंधेरे में ही टटोलीं उसने चप्पलें* [[ / प्रेमरंजन अनिमेष]]हाथ में ली औचक बत्ती* [[ / प्रेमरंजन अनिमेष]]और सँकरी सीढ़ियाँ दिखाते* [[ / प्रेमरंजन अनिमेष]]उतरा मुझे छोड़ने* [[ / प्रेमरंजन अनिमेष]]छोड़ खुले दरवाजे* [[ / प्रेमरंजन अनिमेष]]* [[ / प्रेमरंजन अनिमेष]]मेरे बहुत आगे* [[ / प्रेमरंजन अनिमेष]]अपने बहुत पीछेतक की बातेंकरता चलता गयासंकोच से भरा सोचता रहा मैंजहाँ तक जायेगा छोड़नेवहाँ से लौटना होगा उसे अकेले  चित्रांकन - शालिनी  आधी राह तक आया वहइससे आगे जानासंदेह भरताकि होगा कहीं कोई हित जरूर उसकाअपना लौटना रखाजितनी रह गयी थी मेरी राहउससे छूट कर इससे बढ़करक्या होगा निभाव घूँघट की ओट तकछोड़ताकोई चौखट तकगली नगर सीवान पलकों के अनंत अपारपास के तट तो कोई मरघट तकरहता देता साथ उतनी बड़ी ज़िंदगीकोई अपना देखता जितनी देरजाते हुए किसी को अपने आगेउतना ही बड़ा आदमीछोड़ता जो किसी को जितनी दूरऔर बस्ती उतनी ही बड़ीजहाँ तक लोग लोगों कोलाने छोड़ने जाते कौन मगर इस भीड़ मेंमिलता किसी सेअब कहाँ कोई छोड़ता किसी को जबकि छोड़ना भी शामिल है यात्राओं में गौर करें तो हम सब की यात्रायेंछोड़ने कीयात्रायें हैंन छोड़ो तब भीएक एक कर सब छूटते जातेऔर कहीं पहुँच कर हम पातेकि अपना आप ही नहीं साथवह भी कहींछूट गया ... तब पता चलताकई बार तो तब भी नहींकि यात्रा अपनीदरअसल यात्रा अपने को छोड़ने की  छोड़ें अगर किसी कोतो इस तरहजैसे जाते हुए बहुत अपने कोछोड़ते हैंप्यार सेसाथ जाकरदेर तकऔर दूर तक ... ख़ैर छोड़ोअब जाने दो यह बातमैं तुम्हें और तुम मुझेइस ओस भींगे आधे चाँद की रातछोड़ते रहे तासहर जब तक एक न हो जायेंअपने ऑंगन अपने घर
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