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किसका नारा, कैसा कौल, अल्लाह बोलफूले कदम्ब
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रचनाकार: [[राहत इन्दौरीनागार्जुन]]
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किसका नारा, कैसा कौल, अल्लाह बोलफूले कदम्बअभी बदलता है माहौल, अल्लाह बोल कैसे साथी, कैसे यार, सब मक्कारसबकी नीयत डाँवाडोल, अल्लाह बोल जैसा गाहक, वैसा माल, देकर तालकागज़ टहनी-टहनी में अंगारे तोल, अल्लाह बोलकन्दुक सम झूले कदम्बफूले कदम्बहर पत्थर के सामने रख दे आइनासावन बीतानोच ले हर चेहरे बादल का खोल, अल्लाह बोलकोप नहीं रीताजाने कब से वो बरस रहादलालों ललचाई आँखों से नाता तोड़, सबको छोड़नाहकभेज कमीनों पर लाहौल, अल्लाह बोल इन्सानों जाने कब से इन्सानों तक एक सदातू तरस रहाक्या तातारी, क्या मंगोल, अल्लाह बोलमन कहता है छू ले कदम्बफूले कदम्बशाख-ए-सहर पे महके फूल अज़ानों केफेंक रजाई, आँखें खोल, अल्लाह बोल झूले कदम्ब
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