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उन निगाहों का मोरचा टूटा / ‘अना’ क़ासमी
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13:59, 12 मई 2013
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{{KKRachna
|रचनाकार='अना'क़ासमी|संग्रह=मीठी सी चुभन/ 'अना' क़ासमी
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रात पलकों पे आ के लेट गयी
और ग़ज़ल का भी क़ाफ़िया<
refतुकान्त
ref> तुकान्त
</ref> टूटा<
/
poem>
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वीरेन्द्र खरे अकेला
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