Changes

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|रचनाकार='अना'क़ासमी|संग्रह=मीठी सी चुभन/ 'अना' क़ासमी
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रात पलकों पे आ के लेट गयी
और ग़ज़ल का भी क़ाफ़िया<refतुकान्तref> तुकान्त</ref> टूटा</poem>
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