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|रचनाकार=शिवराज भारतीय
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{{KKVID|v=H8Kt6_mpBDc}}<poem>उणरो
रोजीना रो काम
कदै गोळा फोडऩा
तो कदैई
गोळ्यां चलवाणी
आपां रै ई भाई सूं
आपां माथै
अर आपां चुप!

उणरो
रोजीना रो काम
लाय लगावणी
घरां रा
गेला फंटाणा
अर आपां चुप!

कांई ठाह
आपां रै रगत री
गरमी निठगी
कै रगत धोळो हुग्यो
अर आपां रो भाई
अतरो कियां भोळो हुग्यो!</poem>
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