भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=नीरज दइया|संग्रह=मंडाण}}{{KKCatKavita}}
<poem>युवा कवियां री कवितावां बाबत बात करण सूं पैली आगूंच कीं खुलासा जरूरी लखावै। रचनावां मांय रचनाकार न्यारा-न्यारा खोळिया पैरै, उतारै अर बदळै। वो आप रै रचना-संसार मांय आप री ऊमर सूं ओछो अर मोटो होवण रो हुनर पाळै। किणी रचना री बात करां जणै ऊमर री बात बिरथा होया करै। इण पोसाळ मांय ऊमर ढळियां नवो दाखलो लेवण वाळां नैं कांई युवा रचनाकार कैवांला? कोई जवान कै ऊमरवान कवि पगलिया करतो-करतो आपरी ठावी ठौड़ पूग सकै, अर किणी नैं बरसां रा बरस लियां ई कलम नीं तूठै।
कोई युवा कवि पण जूनी बात कर सकै अर किणी प्रौढ़ कवि री कविता सूं युवा-सौरम आय सकै। आपां जद कोई काम किणी खास दीठ सूं पोळावां कै अंगेजां तद आगूंच कीं पुख्ता काण-कायदा राखणा पड़ै। सींव ई बांधणी पड़ै। अठै युवा कवियां सूं मायनो बरस 1971 पछै जलमिया कवियां सूं तै राखीज्यो है। इण संकलन मांय देस री आजादी रै लगैटगै पचीस बरसां पछै बरस 1972 अर उण पछै जलमिया कवियां री कवितावां एकठ करीजी है। इण युवा पीढी खातर आधुनिक सोच अर संस्कारां री बात इण रूप मांय स्वीकारी जाय सकै कै माईत आजाद भारत मांय नवा संस्कारां साथै आं नैं जवान करिया।