भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
}}
{{KKCatKavita‎}}
<Poem>जब-जब तुम्हारी आँख से
झरे हैं आँसू
उन तक
तुम्हारे बाद
कुछ भी शेष नहीं है
तुम्हारे अदृश्य आँसुओं के सिवाय । </poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits