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स्मृति-1 / नीरज दइया

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{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>तुम्हारी स्मृति में हैं
कई गीत
उन में से चुन कर एक
गा रही हो तुम।

कहा तुमने-
आवाज पर मत जाना
स्मृति पर जाना।

क्या एक गीत के सहारे
पहुंच सकूंगा मैं
तुम्हारी स्मृति तक?</poem>
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