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सबूत / नीरज दइया

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|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
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{{KKCatKavita‎}}<poem>जो प्रेम था
उसके लिए कोई सबूत
आज तक नहीं मांगा
आज जब मांगा है तुमने
सोचता हूं-
क्या हो सकता है वह?

क्या वह स्वयं
नहीं है प्रेम!</poem>
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