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लड़की / नीरज दइया

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|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
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{{KKCatKavita‎}}<poem>लड़की हंसी
जो अभी-अभी निकल आई थी
औरत की देह से।

औरत हैरान
कि वह लड़की बनकर
वर्तमान में कैसे निकल आई?

दुखों के पहाड़ से दबी
औरत को देखकर
कोई नहीं कह सकता
यह वही लड़की है।

एक बार मर चुकी लड़की
अब जीना चाहती है
कि जिंदा रहे लड़की
वर्ना औरत मर जाएगी।</poem>
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