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छिप-छिप अश्रु बहाने वालों / गोपालदास "नीरज"
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|रचनाकार=गोपालदास "नीरज"
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छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है
Sharda suman
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