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आदरे अधिक काज नहि बन्ध।अभिनव पल्लव बइसक देल। धवल कमल फुल पुरहर भेल।।माधव बुझल तोहर अनुबन्ध।।कए मकरन्द मन्दाकिनि पानि। अरूण अशोक दीप दहु आनि।।आसा राखह नयन पठाए।माइ हे आजु दिवस पुनमन्त। करिअ चुमाओन राय बसन्त।।कत खन कउसलें कपट नुकाए।।सपुण कलानिधि दधि भल भेल। भमि भमि भमर हकारइ देल।।चल चल माधव तोहें जे सयान।ताके बोलिअ जे उचिज न जान।।कसिअ कसउटी चिन्हिअ हेम।प्रकृति परेखिअ सुपुरूख पेम।।सउरभें जानिअ कमल पराग।नयने निवेदिअ नव अनुराग।।केशु कुसुम सिंदुर सम भास। केतकि धूलि बिथरू परवास।।भनइ विद्यापति नयनक लाज।आदरें जानिअ आगिल काज।।कवि कण्ठहार। रसबुझ शिवसिंह शिव, अवतार।।
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