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{{KKBhajan
|रचनाकार=गुलज़ार
}}
{{KKCatGeet}}<poem>हमको मनकी मन की शक्ति देना, मन विजय करें ।<br>दूसरोंकी जयसे दूसरों की जय से पहले, खुदकी खुद की जय करें ।<br>हमको मनकी मन की शक्ति देना ॥<br><br>
भेदभाव अपने दिलसेदिल से, साफ कर सकें ।<br>दूसरोंसे दूसरों से भूल हो तो, माफ कर सकें ।<br>झूठसे झूठ से बचे रहें, सचका दम भरें । <br>दूसरोंकी दूसरों की जयसे पहले, <br><br>
मुश्किलें पडें तो हमपेहम पे, इतना कर्म कर ।<br>साथ दें तो धर्मकाधर्म का, चलें तो धर्म पर ।<br>खुदपे खुद पे हौसला रहे, सचका सच का दम भरें ।<br>दूसरोंकी जयसे दूसरों की जय से पहले,खुद की जय करें ।