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{{KKRachna
|रचनाकार= शंकरलाल चतुर्वेदी 'सुधाकर'
|संग्रह= काश्मीर के प्रति / शंकरलाल चतुर्वेदी 'सुधाकर'
}}
[[Category: काव्य]]
<poem>
नेहरुकेजातेभारतमें, लालबहादुरजीआये |
दृणनिश्चयसत्यसादगीको, भारतसनेहसहफैलाये ||१||
तूचिंतहीनरोगीजैसा, अथवाअतीतकामननशील |
अपनीउलझनसुलझानेमें, वन्धुत्वविश्वलहियत्नशील ||२||
परअरिदलबलसेजगाहुआ, तेरेउत्तरमेंकाश्मीर |
करकपट, कुचालचलानेमें , षड़यंत्ररचाहोकरअधीर ||३||
सोचाइस्लामधर्मखातिर, जम्बूकेसच्चेमुसलमान |
विद्रोहकरेंगेहिल-मिलकर, जयप्राप्तकरेगापाक-थान ||४||
तवकलितकलीकीसुन्दरता, कोमलतालतासमानसभी |
कंचनकामिनीकर्णवाला, करगतहोंगीवेवेगिअभी ||५||
कचनारकलीरसभरीसरस, संतराअनारमधुमयरसाल |
उनकारसलेनेकाश्मीर, दुश्मनकाबेहालहाल||६||
परभावीविधिकेवशीभूत, उसपरनकिसीकीचलतीहै |
नापाकपाककीछलनासब, उसचतुराननकोखलतीहै ||७||
कालेकबालियोंकीछुटपुटघुसपैंठअगस्तपाँचसेथी |
प्रेरकपाकिस्तानीसेना, खिलबाड़हिंदआँचसेथी ||८||
धीरेधीरेबढ़करवेहीइकअनीस्वरुपसितम्बरको |
तेरीपृथ्वीकोकाश्मीर, ढकदियातुम्हारेअम्बरको ||९||
बादलदलसातबउमड़घुमड़मुस्लिमसमुदायभयावनथा |
गोली-गोलाझड़वृष्टिसरिस, परभारतसैन्यपवनघनथा ||१०||
दिशि-विदिशिओरसेघिरघिरकर, दानवअयूबचढ़तेआते |
भारतझंझाकेवेगोंसेवेतितरवितरहोतेजाते ||११||
होगयाप्रकम्पितगिरिकानन, शिवशंकरआसनडोलउठा |
भ्रूभंगअंगअंगड़ाईले, डमरूडिमडिमबमबोलउठा ||१२||
अचलाचलअचलचलायमान, दिक्पालनिमग्नविचारोंमें |
रसिया, अमरीका,मिश्र, अरब, पड़गएब्रिटेनविचारोंमें ||१३||
निम्मोजनरलनेप्रकटकिया , आक्रामकमियांअयूबहुए |
भुट्टोभयसेऊथांतवदन, चिरबंदहुआमनहूसहुए ||१४||
सनपैंसठमासदिसंबरका, उत्तरार्धअंतहिममयदिनथा |
स्पष्टरूपसेसंयुगका, पाकेश-बदननिर्घोषणथा ||१५||
तबसत्यसत्यहीहैआखिर, विनपरचायेयेप्रकटहुई |
आक्रामकसेबदलालेने, भारतकीसेनानिकटगई ||१६||
भारतकीविपुलभुसंडीसेगोलेअंगारउगलतेथे |
मनुयवनतरुणतरुसंगरमें, दावानलअमितनिगलतेथे ||१७||
पड़गईमारविकरालकाल, तबकालकरालभयाथलथा |
भग्गीसीछाईसेनामें, मार्शलमानसभीआकुलथा ||१८||
सबमित्रराष्ट्र , सीटो, सेंटो, स्तंभितऔरसशंकितथे |
बेजाँरस्तेसेमित्रफंसा, मनमंदिरपूर्णप्रकम्पितथे ||१९||
दर्राहाजीपीरक्षेत्रको, कियाहस्तगतकरसंगर |
जेटविमानोंकोतबाहकर, दिखलायानिजशौर्यभयंकर ||२०||
दोधारोंमेंसैन्यसजाकर, विक्रांतबाघसेटूटपड़े |
छम्बक्षेत्रकोग्रहणकिया, गोलेतोपोंसेउबलपड़े ||२१||
स्यालकोटलाहौरदुर्गको, भूनदियाअंगारोंसे |
काडगीललब्धकियासहजमें, भग्गीसीपड़ीप्रहारोंसे ||२२||
बादलदलसाघुमड़घुमड़छायादलमुग़लभयावनथा |
छितरानेलगाक्षणिकभंगुरसा, भारतदलप्रबलप्रभंजनथा ||२३||
हायहायतोबातोबाका, अल्लाअकबररवछाया |
हरहरबमबमकामहोच्चार, वदलेमेंसंयुगविचछाया ||२४||
रक्तोंकीसरितास्रावितहुई, कच्छपसेमुंडभयंकरथे |
शफरीथीभुजाभुसुंडीअसि, मृतरुण्डमगरभयंकरथे ||२५||
कालीकंकालीनृत्यकरे, करतेपिशाचतवरुधिरपान |
आँतोंसेखेलेकाककंक, मानोधरणीनेकियादान ||२६||
आहवकटाहइकअश्मकका, बालूबारूदकाढेरघना |
प्रज्ज्वलितवह्नीभुसुंडीकी, कोयलागोलाढेरबना ||२७||
सैनिकदलचनाधानसेथेचटकादेकरवेभुनतेथे |
अथवारसरुधिरजवानोंका, अंगअंगपकवानसुपगतेथे ||२८||
याह्याविक्रांतअचलसमथा, लड़तारहताथाक्षेत्रछम्ब |
दिलदहलगयाकम्पितहोकर, जबपड़ाधमाकेसाथबम्ब ||२९||
लेलियाछम्बऔरउड़ीपुच्छ, अनवरसरितवीकोकियापार |
मियांअयूबपराजितथे, चौधरीचतुरकीपड़ीमार ||३०||
खिसियाकरभारीगोलेको, अमृतसरनगरीमेंडाला |
परप्राणनहींबचसकतेथे, सच्चेवीरोंसेथापाला ||३१||
रसियाकारुखतत्क्षणपलटा, कहदिया "करोअबयुद्धबंद" |
परिषद्सेहोकरसाधिकार, भारतआननकोकियाबंद ||३२||
भोलेशास्त्रीकोबहलाकर, बुलवायाउसनेताशकंद |
चव्हाण, स्वर्णसिंहगएसाथ, लिखदियापत्रवहमुहरबंद ||३३||
वाहिनीविजितभूमिछोड़े, भाबीसगरकोकरोबंद |
सुखशांतिलहैजनतादोनों, मिटजायेसदाकोदुरितद्वन्द ||३४||
जनतासेवचनबद्धथेवे, छोड़ेंगेहमनविजितक्षेत्र |
अस्तिनास्तिमेंलालपड़े, कैसेस्वीकारेंसंधिपत्र ||35||
थाकोसिगनकापूरादबाव, हस्ताक्षरितथासंधिपत्र |
कालीथीनिशाजगतकाला, कालाशारीररहगयाअत्र ||३६||
जनवरीमासछासठसनथा, भारतमाताकालालउठा |
पातेहीदुखदवृत्तकोतब, भारतजन-गणबौखलाउठा ||३७||
झंडेझुकगएशोकछाया, उजियालेमेंथाअन्धकार |
हा ! लालबहादुरचलागया, घरघरमातमथाचीत्कार ||३८||
हेकाश्मीर ! तेरेकारण, खोयाउसलाल-बहादुरको |
शक्तिसाहससेदबादिया, जिसनेअयूबसेदादुरको ||३९||
भारतकीजनतारोउठ्ठी, आँखोंसेआँसूंनिकलपड़े |
हेकाश्मीर ! तबरक्षकहित, बरवचनवृन्दयोंनिकलपड़े ||४०||
हेचित्रकेतुकुलकलितकेतु, हेशांतिप्रचारककर्मवीर |
असमययुगमेंतजिकहाँगयाबतलादेहमकोधर्मवीर ||४१||
हेसत्यअहिंसामगराही, हेअडिलावचनकेशैलराट |
तेरीवाणीकेसुननेको, उत्सुकथेजगकेराष्ट्रराट ||४२||
भारतजननीकातूसपूत, अथवानंदनसाललितहार |
तूकिसनिंद्रामेंपड़ाहाय, रेजागजागमाँकोनिहार ||४३||
उठअरिहन्ता ! करतुमुलघोष, थर्राजावेअगजगदिगंत |
नापाकपाकहोकरविमुक, होसुखीदेशकाआदिअंत ||४४||
तू बापूवचनों कापोषक, भारतकाभाग्यविधायकथा |
तूपंचशीलकेनिर्मातानेहरुकासच्चापायकथा ||४५||
चिरनिद्रामेंनिद्रितहोकर, बापूसेमिलनेचलागया |
अथवाउसदीनबंधुप्रभुको, सन्देशसुनानेचलागया ||४६||
तूचलागयानेहरुनभपथ, विश्वासघातकासहिप्रहार |
रोतेहैंबालवृद्धजनगण, स्मृतिकरतेराअमितप्यार ||४७||
भारतांगकुशलरक्षक, नाहर, रक्षाकामार्गबतादेअब |
ललितापतिलालबहादुरउठ, वस्तुत: तत्वबतलादेअब ||४८||
चिरआशीषदेहोदेशएक, होव्याप्तशांतिजगमेंप्रकाम |
तूअमर ! अमरकरनीतेरी, तुझकोप्रणामशतशतप्रणाम ||४९||
</poem>
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|रचनाकार= शंकरलाल चतुर्वेदी 'सुधाकर'
|संग्रह= काश्मीर के प्रति / शंकरलाल चतुर्वेदी 'सुधाकर'
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<poem>
नेहरुकेजातेभारतमें, लालबहादुरजीआये |
दृणनिश्चयसत्यसादगीको, भारतसनेहसहफैलाये ||१||
तूचिंतहीनरोगीजैसा, अथवाअतीतकामननशील |
अपनीउलझनसुलझानेमें, वन्धुत्वविश्वलहियत्नशील ||२||
परअरिदलबलसेजगाहुआ, तेरेउत्तरमेंकाश्मीर |
करकपट, कुचालचलानेमें , षड़यंत्ररचाहोकरअधीर ||३||
सोचाइस्लामधर्मखातिर, जम्बूकेसच्चेमुसलमान |
विद्रोहकरेंगेहिल-मिलकर, जयप्राप्तकरेगापाक-थान ||४||
तवकलितकलीकीसुन्दरता, कोमलतालतासमानसभी |
कंचनकामिनीकर्णवाला, करगतहोंगीवेवेगिअभी ||५||
कचनारकलीरसभरीसरस, संतराअनारमधुमयरसाल |
उनकारसलेनेकाश्मीर, दुश्मनकाबेहालहाल||६||
परभावीविधिकेवशीभूत, उसपरनकिसीकीचलतीहै |
नापाकपाककीछलनासब, उसचतुराननकोखलतीहै ||७||
कालेकबालियोंकीछुटपुटघुसपैंठअगस्तपाँचसेथी |
प्रेरकपाकिस्तानीसेना, खिलबाड़हिंदआँचसेथी ||८||
धीरेधीरेबढ़करवेहीइकअनीस्वरुपसितम्बरको |
तेरीपृथ्वीकोकाश्मीर, ढकदियातुम्हारेअम्बरको ||९||
बादलदलसातबउमड़घुमड़मुस्लिमसमुदायभयावनथा |
गोली-गोलाझड़वृष्टिसरिस, परभारतसैन्यपवनघनथा ||१०||
दिशि-विदिशिओरसेघिरघिरकर, दानवअयूबचढ़तेआते |
भारतझंझाकेवेगोंसेवेतितरवितरहोतेजाते ||११||
होगयाप्रकम्पितगिरिकानन, शिवशंकरआसनडोलउठा |
भ्रूभंगअंगअंगड़ाईले, डमरूडिमडिमबमबोलउठा ||१२||
अचलाचलअचलचलायमान, दिक्पालनिमग्नविचारोंमें |
रसिया, अमरीका,मिश्र, अरब, पड़गएब्रिटेनविचारोंमें ||१३||
निम्मोजनरलनेप्रकटकिया , आक्रामकमियांअयूबहुए |
भुट्टोभयसेऊथांतवदन, चिरबंदहुआमनहूसहुए ||१४||
सनपैंसठमासदिसंबरका, उत्तरार्धअंतहिममयदिनथा |
स्पष्टरूपसेसंयुगका, पाकेश-बदननिर्घोषणथा ||१५||
तबसत्यसत्यहीहैआखिर, विनपरचायेयेप्रकटहुई |
आक्रामकसेबदलालेने, भारतकीसेनानिकटगई ||१६||
भारतकीविपुलभुसंडीसेगोलेअंगारउगलतेथे |
मनुयवनतरुणतरुसंगरमें, दावानलअमितनिगलतेथे ||१७||
पड़गईमारविकरालकाल, तबकालकरालभयाथलथा |
भग्गीसीछाईसेनामें, मार्शलमानसभीआकुलथा ||१८||
सबमित्रराष्ट्र , सीटो, सेंटो, स्तंभितऔरसशंकितथे |
बेजाँरस्तेसेमित्रफंसा, मनमंदिरपूर्णप्रकम्पितथे ||१९||
दर्राहाजीपीरक्षेत्रको, कियाहस्तगतकरसंगर |
जेटविमानोंकोतबाहकर, दिखलायानिजशौर्यभयंकर ||२०||
दोधारोंमेंसैन्यसजाकर, विक्रांतबाघसेटूटपड़े |
छम्बक्षेत्रकोग्रहणकिया, गोलेतोपोंसेउबलपड़े ||२१||
स्यालकोटलाहौरदुर्गको, भूनदियाअंगारोंसे |
काडगीललब्धकियासहजमें, भग्गीसीपड़ीप्रहारोंसे ||२२||
बादलदलसाघुमड़घुमड़छायादलमुग़लभयावनथा |
छितरानेलगाक्षणिकभंगुरसा, भारतदलप्रबलप्रभंजनथा ||२३||
हायहायतोबातोबाका, अल्लाअकबररवछाया |
हरहरबमबमकामहोच्चार, वदलेमेंसंयुगविचछाया ||२४||
रक्तोंकीसरितास्रावितहुई, कच्छपसेमुंडभयंकरथे |
शफरीथीभुजाभुसुंडीअसि, मृतरुण्डमगरभयंकरथे ||२५||
कालीकंकालीनृत्यकरे, करतेपिशाचतवरुधिरपान |
आँतोंसेखेलेकाककंक, मानोधरणीनेकियादान ||२६||
आहवकटाहइकअश्मकका, बालूबारूदकाढेरघना |
प्रज्ज्वलितवह्नीभुसुंडीकी, कोयलागोलाढेरबना ||२७||
सैनिकदलचनाधानसेथेचटकादेकरवेभुनतेथे |
अथवारसरुधिरजवानोंका, अंगअंगपकवानसुपगतेथे ||२८||
याह्याविक्रांतअचलसमथा, लड़तारहताथाक्षेत्रछम्ब |
दिलदहलगयाकम्पितहोकर, जबपड़ाधमाकेसाथबम्ब ||२९||
लेलियाछम्बऔरउड़ीपुच्छ, अनवरसरितवीकोकियापार |
मियांअयूबपराजितथे, चौधरीचतुरकीपड़ीमार ||३०||
खिसियाकरभारीगोलेको, अमृतसरनगरीमेंडाला |
परप्राणनहींबचसकतेथे, सच्चेवीरोंसेथापाला ||३१||
रसियाकारुखतत्क्षणपलटा, कहदिया "करोअबयुद्धबंद" |
परिषद्सेहोकरसाधिकार, भारतआननकोकियाबंद ||३२||
भोलेशास्त्रीकोबहलाकर, बुलवायाउसनेताशकंद |
चव्हाण, स्वर्णसिंहगएसाथ, लिखदियापत्रवहमुहरबंद ||३३||
वाहिनीविजितभूमिछोड़े, भाबीसगरकोकरोबंद |
सुखशांतिलहैजनतादोनों, मिटजायेसदाकोदुरितद्वन्द ||३४||
जनतासेवचनबद्धथेवे, छोड़ेंगेहमनविजितक्षेत्र |
अस्तिनास्तिमेंलालपड़े, कैसेस्वीकारेंसंधिपत्र ||35||
थाकोसिगनकापूरादबाव, हस्ताक्षरितथासंधिपत्र |
कालीथीनिशाजगतकाला, कालाशारीररहगयाअत्र ||३६||
जनवरीमासछासठसनथा, भारतमाताकालालउठा |
पातेहीदुखदवृत्तकोतब, भारतजन-गणबौखलाउठा ||३७||
झंडेझुकगएशोकछाया, उजियालेमेंथाअन्धकार |
हा ! लालबहादुरचलागया, घरघरमातमथाचीत्कार ||३८||
हेकाश्मीर ! तेरेकारण, खोयाउसलाल-बहादुरको |
शक्तिसाहससेदबादिया, जिसनेअयूबसेदादुरको ||३९||
भारतकीजनतारोउठ्ठी, आँखोंसेआँसूंनिकलपड़े |
हेकाश्मीर ! तबरक्षकहित, बरवचनवृन्दयोंनिकलपड़े ||४०||
हेचित्रकेतुकुलकलितकेतु, हेशांतिप्रचारककर्मवीर |
असमययुगमेंतजिकहाँगयाबतलादेहमकोधर्मवीर ||४१||
हेसत्यअहिंसामगराही, हेअडिलावचनकेशैलराट |
तेरीवाणीकेसुननेको, उत्सुकथेजगकेराष्ट्रराट ||४२||
भारतजननीकातूसपूत, अथवानंदनसाललितहार |
तूकिसनिंद्रामेंपड़ाहाय, रेजागजागमाँकोनिहार ||४३||
उठअरिहन्ता ! करतुमुलघोष, थर्राजावेअगजगदिगंत |
नापाकपाकहोकरविमुक, होसुखीदेशकाआदिअंत ||४४||
तू बापूवचनों कापोषक, भारतकाभाग्यविधायकथा |
तूपंचशीलकेनिर्मातानेहरुकासच्चापायकथा ||४५||
चिरनिद्रामेंनिद्रितहोकर, बापूसेमिलनेचलागया |
अथवाउसदीनबंधुप्रभुको, सन्देशसुनानेचलागया ||४६||
तूचलागयानेहरुनभपथ, विश्वासघातकासहिप्रहार |
रोतेहैंबालवृद्धजनगण, स्मृतिकरतेराअमितप्यार ||४७||
भारतांगकुशलरक्षक, नाहर, रक्षाकामार्गबतादेअब |
ललितापतिलालबहादुरउठ, वस्तुत: तत्वबतलादेअब ||४८||
चिरआशीषदेहोदेशएक, होव्याप्तशांतिजगमेंप्रकाम |
तूअमर ! अमरकरनीतेरी, तुझकोप्रणामशतशतप्रणाम ||४९||
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