भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दोष / कविता वाचक्नवी

9 bytes added, 00:30, 10 जून 2013
वर्तनी सुधार
<poem>
'''दोष'''
 
हे सूर्यदेव!
कुंति कुन्ती के
युगों से भीगे
झिलमिलाती झील-से
आँचल पर
शैवाल अंधेराअन्धेरागुपचुप खुभा गुभा है,
चीर,
तल के जमाव तक
सुनहली धूप
और पीढ़ियाँ समझती हैं
किरनकिरण-पुत्र तुम्हारा
जल में बहा दिया मैंने।
 
</poem>
59
edits