भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|रचनाकार=कविता वाचक्नवी
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
रंगी परातों से चिह्नित कर
 
चलते पायल-से रिश्ते
 
हँसी -ठिठोली की अनुगूँजें
 
भरते, कलकल-से रिश्ते
पसली के अंतिम कोने तक
 
कभी कहकहे भर देते
 
दिन-रातों की आँख-मिचौनी
 
हैं ये चंचल-से रिश्ते
उमस घुटन की वेला आती
 
धरती जब अकुलाती है
 
घन-अंजन आँखों से चुपचुप
 
बरसें बादल -से रिश्ते
पलकों में भर देने वाली
 
उंगली पर रह जाते हैं
 
बैठ अलक काली नजरों का
 
जल हैं, काजल -से रिश्ते
कभी तोड़ देते अपनापन
 
कभी लिपट कर रोते हैं
 
कभी पकड़ से दूर सरकते
 
जाते, पागल -से रिश्ते
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits