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|रचनाकार=कन्हैयालाल नंदन
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अजब सी छटपटाहट,
घुटन,कसकन ,है असह पीङा
समझ लो
साधना की अवधि पूरी है
अजब सी छटपटाहट,<br>घुटन,कसकन ,है असह पीङा<br>समझ लो<br>साधना की अवधि पूरी है<br><br> अरे घबरा न मन<br>चुपचाप सहता जा<br>सृजन में दर्द का होना जरूरी है<br><br>
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