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अब मै मैं सूरज को नही डूबने दूंगा।देखो मैने मैंने कंधे चौड़े कर लिये हैं
मुट्ठियाँ मजबूत कर ली हैं
और ढलान पर एड़ियाँ जमाकर
खड़ा होना मैने मैंने सीख लिया है।
घबराओ मत
मै मैं क्षितिज पर जा रहा हूँ।
सूरज ठीक जब पहाडी से लुढ़कने लगेगा
मै मैं कंधे अड़ा दूंगा
देखना वह वहीं ठहरा होगा।
अब मै मैं सूरज को नही डूबने दूंगा।मैने मैंने सुना है उसके रथ मे में तुम होतुम्हें मै मैं उतार लाना चाहता हूं
तुम जो स्वाधीनता की प्रतिमा हो
तुम जो साहस की मूर्ति हो
तुम जो धरती का सुख हो
तुम जो कालातीत प्यार हो
तुम जो मेरी मेंरी धमनी का प्रवाह होतुम जो मेरी मेंरी चेतना का विस्तार होतुम्हें मै मैं उस रथ से उतार लाना चाहता हूं।
रथ के घोड़े
आग उगलते रहें
अब पहिये टस से मस नही होंगे
मैने मैंने अपने कंधे चौड़े कर लिये है।
कौन रोकेगा तुम्हें
मैने मैंने धरती बड़ी कर ली है
अन्न की सुनहरी बालियों से
मै मैं तुम्हें सजाऊँगा मैने मैंने सीना खोल लिया हैप्यार के गीतो मे मै में मैं तुम्हे गाऊंगागाऊँगामैने मैंने दृष्टि बड़ी कर ली हैहर आँखों में तुम्हें सपनों सा फहराऊंगा।फहराऊँगा।
सूरज जायेगा भी तो कहाँ
उसे यहीं रहना होगा
यहीं हमारी सांसों मेमेंहमारी रगों मेमेंहमारे संकल्पों मेमेंहमारे रतजगों मेमें
तुम उदास मत होओ
अब मै मैं किसी भी सूरज को
नही डूबने दूंगा।
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