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अब मैं सूरज को नही नहीं डूबने दूंगा।
देखो मैंने कंधे चौड़े कर लिये हैं
मुट्ठियाँ मजबूत कर ली हैं
देखना वह वहीं ठहरा होगा।
अब मैं सूरज को नही डूबने दूंगा।दूँगा।
मैंने सुना है उसके रथ में तुम हो
तुम्हें मैं उतार लाना चाहता हूं
तुम जो धरती का सुख हो
तुम जो कालातीत प्यार हो
तुम जो मेंरी मेरी धमनी का प्रवाह होतुम जो मेंरी मेरी चेतना का विस्तार हो
तुम्हें मैं उस रथ से उतार लाना चाहता हूं।
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