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Kavita Kosh से
वे सूने से नयन,नहीं
जिनमें बनते आंसू आँसू मोती,
वह प्राणों की सेज,नही
जिसमें बेसुध पीड़ा सोती;
नहीं,नहीं जिसमें अवसाद,
जलना जाना नहीं, नहीं