भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
वो फ़ज़ा मुस्कराई, लेकिन दिल
डूबता जा रहा है - जाने क्यों ?
</poem>
उफ़क़=क्षितिज; जबीं=मस्तक
(रचनाकाल : 1945)