गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
भीड़ / रमेश भोजक ‘समीर’
508 bytes added
,
23:51, 18 जुलाई 2013
'<poem>कूड़ है, सरासर कूड़ थूं कूड़ो है सदा करै कूड़ी बात...' के साथ नया पन्ना बनाया
<poem>कूड़ है, सरासर कूड़
थूं कूड़ो है
सदा करै कूड़ी बातां
ऊभो भीड़ मांय
अर करै दावो
निरवाळै सोच रो
थनैं ठाह तो है
कै जिका भेळा होवै
भीड़ भेळै
वै कीं नीं सोचै
अर जिका कीं सोचै
वै कद बणै
हिस्सो भीड़ रो?</poem>
Neeraj Daiya
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,492
edits