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Kavita Kosh से
|रचनाकार=देवमणि पांडेय
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छ्म छम छम दहलीज़ पे आई मौसम की पहली बारिश<br>गूंज उठी जैसे शहनाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
:जब तेरा आंचल लहराया<br>:सारी दुनिया चहक उठी<br>:बूंदों की सरगोशी तो<br>:सोंधी मिट्टी महक उठी <br><br>
मस्ती बनकर दिल में छाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
:रौनक़ तुझसे बाज़ारों में<br>:चहल पहल है गलियों में<br>:फूलों में मुस्कान है तुझसे<br>:और तबस्सुम कलियों में <br><br>
झूम रही तुझसे पुरवाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
:पेड़-परिन्दें, सड़कें, राही<br>:गर्मी से बेहाल थे कल<br>:सबके ऊपर मेहरबान हैं<br>:आज घटाएं और बादल<br><br>
राहत की बौछारें लाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
:आंगन के पानी में मिलकर<br>:बच्चे नाव चलाते हैं<br>:छत से पानी टपक रहा है<br>:फिर भी सब मुस्काते हैं <br><br>
हरी भरी सौग़ातें लाई मौसम की पहली बारिश<br><br>
:सरक गया जब रात का घूंघट<br>:चांद अचानक मुस्काया<br>:उस पल हमदम तेरा चेहरा<br>:याद बहुत हमको आया<br><br>
कसक उठी बनकर तनहाई मौसम की पहली बारिश<br><br>