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बारिश के दिन आ गए/ यश मालवीय

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[[Category:गीत]]{{KKCatGeet}}<poem>बारिश के दिन आ गए हँसे खेत खपरैलएक हँसी मे धुल गया मन का सारा मैल
बारिश के दिन आ गए हँसे खेत खपरैल<br>अबरोही बादल भरें फिर घाटी की गोदएक हँसी मे धुल गया मन का सारा मैल<br>बजा रहे हैं डूब कर अमजद अली सरोद
अबरोही बादल भरें फिर घाटी की गोद<br>जब से आया गाँव में यह मौसम अवधूतबजा रहे हैं डूब कर अमजद अली सरोद<br>बादल भी मलने लगे अपने अंग भभूत
जब बदली हँसती शाम से आया गाँव में यह मौसम अवधूत<br>मुँह पर रख रूमालबादल भी मलने लगे अपने अंग भभूत<br>साँसो में सौगंध है आँखें हैं वाचाल
बदली हँसती शाम से मुँह पर रख रूमाल<br>बादल के लच्छे खुले पेड़ कातते सूतसाँसो में सौगंध है आँखें हैं वाचाल<br>किसी बात का फिर हवा देने लगी सबूत
बादल के लच्छे खुले पेड़ कातते सूत<br>कठिन गरीबी क्या करे अपना सरल स्वाभावकिसी बात का फिर हवा देने लगी सबूत <br>छत से पानी रिस रहा जैसे रिसता घाव
कठिन गरीबी क्या करे अपना सरल स्वाभाव<br>मीठे दिन बरसात के खट्टी मीठी यादछत से पानी रिस रहा जैसे रिसता घाव <br>एक खुशी के साथ हैं सौ गहरे अवसाद
मीठे दिन बरसात के खट्टी मीठी याद<br>बिजली चमके रात भर आफ़त में है जानएक खुशी के साथ हैं सौ गहरे अवसाद<br>मैला आँचल भीगता सीला है गोदान
बिजली चमके रात भर आफ़त में है जान<br>मैला आँचल भीगता सीला है गोदान<br> सासों में आसावरी आँखो में कल्यान<br>सहे किस तरह हैसियत बूँदो वाले बान<br/poem>
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