भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|रचनाकार=द्विजेन्द्र 'द्विज'
}}
[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>
ज़ब्त किस इम्तहान तक पहुँचा
 
मेरा ग़म भी बयान तक पहुँचा
 
लौट आई परों में फिर जुम्बिश
 
हौसला जब उड़ान तक पहुँचा
 
अपनी आँखों में घर के ख़्वाब लिए
 
इक मुसाफ़िर मकान तक पहुँचा
 
तीर था तू जो मेरे तरकश का
 
कैसे उसकी कमान तक पहुँचा
 
उसकी ख़ुशबू हवाओं में फैली
 
जब सुख़न क़द्रदान तक पहुँचा
 
ये भी तो शे‘र का करिश्मा है
 
‘द्विज’ भी सारे जहान तक पहुँचा
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,137
edits