भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अभिमान / धनंजय वर्मा

No change in size, 04:48, 13 अगस्त 2013
अभीसिप्त कुछ मिल जाता है
वसन्त की अँघड़ाई अँगड़ाई में
कभी भी
यौवन की बाहें अनखुली नहीं रहीं ।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits