भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='सुहैल' अहमद ज़ैदी }} {{KKCatGhazal}} <poem> पेड़ ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार='सुहैल' अहमद ज़ैदी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
पेड़ ऊँचा है मगर ज़ेर-ए-ज़मीं कितना है
लब पे है नाम-ए-ख़ुदा दिल में यक़ीं कितना है

हम ने तो मूँद लीं आँखें ही तिरी दीद के बाद
बुल-हवस जानते हैं कोई हसीं कितना है

देखता है वो मुझे लुत्फ़ से गाहे गाहे
आँकता है कि ग़नी ख़ाक-नशीं कितना है

एक तख़ईल के जंगल पे तसर्रूफ़ था पे अब
ये इलाक़ा भी मिरे ज़ेर-ए-नगीं कितना है

तुम ने किस शख़्स की तस्वीर बनाई है ‘सुहैल’
रंग कितना है कहीं और कहीं कितना है
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,244
edits