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मन न रँगाये रँगाये जोगी कपड़ा / कबीरदास
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<poem>मन न रँगाये रँगाये जोगी कपड़ा।। टेक।।
आसन मारि मंदिर में बैठे, नाम छाड़ि पूजन लागे पथरा।। 1।।
Mani Gupta
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