भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रिश्ते / रति सक्सेना

42 bytes removed, 12:10, 29 अगस्त 2013
|रचनाकार=रति सक्सेना
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कुछ रिश्ते
तपती रेत पर बरसात से
बुझ जाते हैं
बनने से पहले
कुछ रिश्ते<br>तपती रेत पर बरसात से<br>ऐसे भी होते हैंचिनगारी बनबुझ जाते सुलगते रहतें हैं<br>जोबनने से पहले<br><br>जिंदगी भर
रिश्ते<br>चलते साथऐसे भी होते हैं<br>चिनगारी बन<br>कुछ कदमसुलगते रहतें कुछ रुक जाते हैं जो<br>जिंदगी भर<br><br>बीच रास्ते
चलते साथ<br>कुछ कदम<br>कुछ रुक जाते हैं<br>बीच रास्ते<br><br> रिश्ते होते हैं कहाँ<br>जो साथ निभाते हैं<br>
सफर के खत्म होने तक..
</poem>