|रचनाकार=रति सक्सेना
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{{KKCatKavita}}
<poem>
मैं चाहती हूँ शब्द उगाऊं
फलों की तरह नहीं
सब्जी की तरह भी नहीं
फुलवारी की तरह भी नहीं
मैं चाहती हूँ शब्द उगाऊं<br>फलों जंगल की तरह नहीं<br>सब्जी की तरह भी नहीं<br>फुलवारी की तरह भी नहीं<br><br>
जंगल की तरह<br><br>कुछ लम्बे, कुछ टेड़ेकुछ तिरछे कुछ बाँकेकमजोर, मजबूत
कुछ लम्बे, कुछ टेड़े<br>शब्द खड़े हो दरख्तों की तरहकुछ तिरछे कुछ बाँके<br>फैले घास की तरहकमजोर, मजबूत<br><br>चढ़े लताओं की तरहखिले फूलों की तरहपके फलों की तरह
शब्द खड़े हो दरख्तों की तरह<br>फैले घास की तरह<br>चढ़े लताओं की तरह<br>खिले फूलों की तरह<br>पके फलों की तरह<br><br>मैं
चिड़िया, पीली चोंच वालीउड़ूँ...फुदकूँगाऊं.. नाचूँजब तक मैं <br><br>खुद बन जाऊँ
चिड़िया, पीली चोंच वाली<br>उड़ूँ...फुदकूँ<br>गाऊं.. नाचूँ<br>जब तक मैं खुद <br>बन जाऊँ<br><br> शब्द<br><br>
ना कि जंगल
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