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मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम / भगवतीचरण वर्मा
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|रचनाकार=भगवतीचरण वर्मा
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मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम
ऐ अमरों की जननी, तुमको शत-शत बार प्रणाम,
गूँज उठे जय-हिंद नाद से -
सकल नगर औ' ग्राम, मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम।
</poem>
Sharda suman
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