Changes

{{KKRachna
|रचनाकार=भगवतीचरण वर्मा
}}{{KKCatKavita}}<poem>
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम
ऐ अमरों की जननी, तुमको शत-शत बार प्रणाम,
गूँज उठे जय-हिंद नाद से -
सकल नगर औ' ग्राम, मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,141
edits