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Kavita Kosh से
यहाँ अम्बवा तरे रुक
एक पल विश्राम लेना,
मिलो जब गांव गाँव भर से बात कहना, बात सुनना
भूल कर मेरा
न हरगिज नाम लेना
अगर कोई सखी कुछ जिक्र मेरा छेड़ बैठे,
आँसू थाम लेना