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{{KKRachna
|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
 
सुबह-सुबह !<br>
हाँफता हुआ बच्चा!<br>
पीठ पर लादे!<br>
बस्ता किताबों का!<br>
गले में झूलती !<br>
पानी –भरी बोतल!<br>
थके हुए कदम!<br>
हलक़ सूखा हुआ!<br>
चश्मे के भीतर से घूरते टीचर!!<br>
दोपहर हो गई-!<br>
छुट्टी की घण्टी बजी!<br>