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समय की शिला पर / शंभुनाथ सिंह

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::किसी ने लिखी आँसुओं से कहानी
::किसी ने पडः़आ पढ़ा किन्तु दो बूंद बूँद पानी
::इसी में गए बीत दिन ज़िन्दगी के
::गई घुल जवानी, गई मिट निशानी।
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