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हिमाद्रि तुंग श्रृंग शृंग से
प्रबुद्ध शुद्ध भारती
'अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ- प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पथ है, बढे बढ़े चलो, बढे बढ़े चलो!'
सपूत मातृभूमि के-
रुको न शुर शूर साहसी !
अराति सैन्य सिंधु में ,सवान्ग्वाग्नी सुबाड़वाग्नि से चलो,
प्रवीर हो जयी बनो - बढे बढ़े चलो, बढे बढ़े चलो !
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