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|रचनाकार=अज्ञात
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{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=भोजपुरी
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<poem>मैं हूँ साहुकारा नाथ, कीजिए हमारा सौदा,<br>छोटी बड़ी इलायची, छुहड़ा घर भरा है।<br>लवंग ओ सुपारी, कत्था केवरा सुवास भरो,<br>बांका है मुनक्का, जो डब्बे में रक्खा है।<br>किसमिस बादाम, ओ चिरंजी तमाम रक्खी,<br>गड़ी का है गोला साँचे का सा ढ़ला है।<br>सोंठ जीरा जायफल डिब्बे में कपूर देखो,<br>काली मीर्च पीपली चालान नयी आयी है।<br>हरदी हरीत के ठंढई भी ढेर रक्खी,<br>धनिया मसाला सब आला दरसाई है।<br>कहे अभिलाख लाल लीजिए मखाना पिस्ता,<br>दीजिए न दाम, दास चरणों पर पड़ा है।<br><br/poem>