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|संग्रह=बोली तूं सुरतां / प्रमोद कुमार शर्मा
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ठौड़-ठौड़ पाटै
धरती रा बुसबुसिया
नीं हुवै ऐकलो !
म्हूं फेर देख्यौ आज चांद !
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