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|संग्रह=लीलटांस / कन्हैया लाल सेठिया
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मंजल पर पूग्यां पैली ही
टूटगी काची लैर चनेक अणमणी हू‘र
मींडकी छळांग ली
सपकै‘र पकड़ली
नुंई लैर री आंगळी
देख‘ आई जी में
जे पग थाम ले जिनगानी
तो कांई फरक
मौत में‘र बीं में !
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