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|संग्रह=लीलटांस / कन्हैया लाल सेठिया
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<Poem>
कानां काचो
सूरज
कर नाखी
तारां रै बाप
अन्धेरै री हत्या,
पण परायै सुख दुबळा
चुगलिया दीया
कती‘क ताल<ref>देरजिया !</reFpoem> जिया !