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|संग्रह=लीलटांस / कन्हैया लाल सेठिया
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<Poem>
 
जिनगानी‘र मौत
 
साईन्यां
 
सारीसो मुरको,
 
दोन्यां रो भरतार जीव
 
राखै दुभांत
 
एक नै सुहाग
 
दूजी नै दुहाग,
 
पण बुझतां ही जोत
 
सागै हुवैली सती
 
विजोगण मौत !
 
 
</Poem>
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