भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=अड़वो / श्याम महर्षि
}}
{{KKCatKavita}}
<Poempoem>
ऊगतै सूरज रो उजास
नूंतै म्हनै
मुंहडो जौवणों
म्हरौ धरम है।
</Poempoem>