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|संग्रह=उजास रा सुपना / शिवराज भारतीय
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<Poempoem>
हिवडै़ उपज्यो
मिनख पणो क्यूं मेटो भाया
खड़गां री धारां रो
धरम समेटो भाया
</Poempoem>