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|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}<poem>बाळपणै मांय लगायोड़ै
एक रूंख नैं जद देखूं
जोबन रै आं दिनां
आंतरै तांई देखूं
एक टाबरियो एक बाप नैं
बाप होवण रो ऐसास करावै।</poem>