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|संग्रह=
}}
{{KKCatMoolRajasthaniKKCatKavita}}{{KKCatKavitaKKCatRajasthaniRachna}}<poem>रे थूं कसूंबल सो रंगीलौ
मीठौ मद सूं
हठीलौ पवन सूं
पण आंधौ है ।
बे मोल बे ठौड़ मिळै है
पण मंहगौ है ।</poem>