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प्यार का रंग / मानोशी

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'<poem>बदले नयन स्वप्न बहुतेरे मगर प्यार का रंग न बदला ह...' के साथ नया पन्ना बनाया
<poem>बदले
नयन स्वप्न बहुतेरे
मगर प्यार का रंग न बदला

हूक प्रेम की शूल वेदना
अंतर बेधी मौन चेतना
रोम-रोम में रमी बसी छवि
हर कण अश्रु सिक्त हो निखरा
आड़ी-तिरछी रेखाओं का
धूमिल-धुंधला अंग न बदला

बदले
नयन स्वप्न बहुतेरे
मगर प्यार का रंग न बदला

मिथ्या छल के इंद्रधनुष में
बंध के रेशा-रेशा पागल
क्षितिज मिलन की आस में जोगी
आशाओं का प्यासा सागर
दुनिया छोड़ी लाज भुलाई
युग-युग से ये ढंग न बदला

बदले
नयन स्वप्न बहुतेरे
मगर प्यार का रंग न बदला
</poem>