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जीवन का हर पल / मानोशी

130 bytes added, 02:15, 21 अक्टूबर 2013
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=मानोशी|अनुवादक=|संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<poem>जीवन का हर पल है तुम से, तुमको ही अर्पित जीवन हूँ ।
रोम-रोम में कस्तूरी ज्यों, आते-जाते श्वासों में तुम,
जीवन का हर पल है तुम से, तुम को ही अर्पित जीवन हूँ ।
 
</poem>
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