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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=मानोशी|अनुवादक=|संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<poem>जीवन का हर पल है तुम से, तुमको ही अर्पित जीवन हूँ ।
रोम-रोम में कस्तूरी ज्यों, आते-जाते श्वासों में तुम,
जीवन का हर पल है तुम से, तुम को ही अर्पित जीवन हूँ ।
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