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आग के नए अर्थ / हरकीरत हकीर

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<poem>मैं फिर लूंगी जन्म
आग के नए अर्थ लेकर
इस तपते सूरज को बताने की खातिर
आग का अर्थ सिर्फ
चूल्हे पर रोटियाँ सेंकना नहीं होता
आग का मतलब
तल्ख़ नजरों को जलाना भी है …

मैं फिर लूंगी जन्म …
सीने में जलती आग से
लिखूंगी नज़्म
माँ के आंसुओं को हँसी में बदलने के लिए
बीजी की पीठ पर पड़े निशानों को
आग से लड़ना सिखाऊँगी …

मैं फिर लूंगी जन्म …
इस नपुंसक समाज की कुंडी खड़काने
औरत की आहों और उसकी लिखी
इबारतों को नया अर्थ देने
मेरे शब्द कोष में आग के और भी अर्थ हैं
मेरी आग राख होकर भी धधकती है
वह सिर्फ औरत के कपड़ों में नहीं लगती
गाँव के गाँव जला देती है
आसमान से गिरती है गाज बनकर
उन हाथों पर …
जो जन्म से पहले ही
क़त्ल के गुनाहगार होते हैं …

मैं फिर लूंगी जन्म …
आग की बेटी बन
अपने पंखों की उडारी से
करूंगी सूरज से मुकाबला
सुनहरी अक्षरों से लिखूंगी
आसमान पर आग के नए अर्थ

हाँ मैं फिर लूंगी जन्म
आग के नए अर्थ लेकर …. !!

</poem>
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