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15:20, 6 नवम्बर 2013 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=युक्तिभद्र दीक्षित "पुतान"
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
<poem>
चेतु रे माली फुलबगिया के
बड़ी जुगुति ते साफु कीन तुयि
झंखरझार कटीले ।
दै दै रकतु प्रान रोपे रे
सुँदर बिरिछ छबीले ।
रहि ना जायं गुलाब के धोखे
काँटा झरबेरिया के।।
</poem>
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