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हाँ रे, जाँत नाहिं चलई माई रे, मकरियो ना डोलेकि आहे हाँ सखि रे, जुअवा पकड़ि अब रोवे कामिन रे।।१।।कहाँ बिलमइ गिरधारीहाँ रे धोबिया त धोवे माई रे, अहिरा पुकारेसांझ भये नहिं आये मुरारी।।१।।कि आहेखोजन चलले मातु जसोदा, केकरो तिरिअवा माई घर-घर करत पूछाई हे, रोवे जँतिसारे।।२।।पासवा त बीगे राजा बेल-तर बबूर-तरकि आहे माई हेकारन कवन नाथ नहिं आये, धाई त बइठल जँतिसारे।।३।।सखि रे कंसा के डर भारी।।२।।हाँ रे, बाँह धइ उठावे राजाझुंड-झुंड सखी सब आये, जाँघे बइठावेपारे जसोदा के गारीबरिजहु जसोदा जे अपनी लाल के, कि आहे राजा अपने पटुकवे लोर पोंछे।।४।।सखि रे, सखियन के चोली फारी।।३।।तोहरो पटुकवा राजा दर दरवारवारोअत-कानत आवे मनमोहन, नयना से नीर बहाइकि आहे राजाछोरि लिये मोरा मटुक पीताम्बर, हमरे अंचरवा लोरवा पोंछू।।५।।सब सखियन मिली मारी।।४।।
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